दाना राजा

एक अमीर आदमी अपनी मृत्यु शय्या पर था। उसने अपने बेटों से कहा कि वे उसके बिस्तर के नीचे खुदाई करें और गड़े धन में से अपने हिस्से का धन निकाल लें। उनके मरने के बाद उनके बेटे खुदाई करना शुरू कर देते हैं। उनमें से एक को रत्नों से भरा घड़ा, दूसरे को सोने-चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा, तीसरे को हड्डियों से भरा घड़ा और चौथे बेटे को धूल से भरा घड़ा मिला। आखिरी बेटे ने पहले तीनों से बहस की और कहा कि संपत्ति उनके बीच बराबर-बराबर बांट दी जानी चाहिए। पहले दो सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने कहा कि हम अपना निर्णय राजा के पास ले जायेंगे दाना राजा अंत में, चारों ने राजा के सामने अपना मामला रखने का फैसला किया। राजा ने उनकी बात सुनी और फैसला किया कि जिसके पास गहने हैं वह उन्हें रखे और जो उनके साथ सो सकता है वह भी उन्हें रखे। यह सुनकर बाकी दोनों भाई बहुत दुखी हुए तब राजा ने अन्य दोनों पुत्रों की ओर देखकर कहा कि जिसके पास हड्डियों से भरा घड़ा है वह अपने पिता द्वारा छोड़े गए मवेशियों का मालिक है और जिसके घड़े में मिट्टी है उसे सारी भूमि मिलेगी। राजा का यह निर्णय सभी भाइयों को पसंद आया। वे राजा की बुद्धिमत्ता पर आश्चर्यचकित थे। वे सभी इस निर्णय से संतुष्ट एवं प्रसन्न थे।

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